Ham Ajadi Ke Rakhawale-हम आजादी के रखवाले

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आओ !देखो! भारत के प्राणो में क्या उन्माद भरा है ।
शासन के प्रतिबन्ध व्यर्थ है,और व्यर्थ है सब धारायें ,
उन्हें तोङकर जनता के स्वर गुज रही हैं सभी दिशाएँ ।
नारी कंण्ठ पुकार रही है ,उनके उपर हो रहे जुर्म मिटाओ ,
जनता दाँत पिसती जाती , बंद हथेली उसकी खुल जाती ।
पर नेता के शासन में,देश की जनता चुप बैठकर आज तमाशा देखती जाती ।
एक हाथ जब उठता था,किसी देश भक्त नेता का, हाथ हजारो उठ जाते थे ,
पर जब आज का नेता अपना हाथ उठाता है ,जनता के दुसरे हाथ में जूता-चप्पल उठ जाता है ।
एक बार यदी उठ जाती, मिलकर आवाज ईस धरा से आती ।
रख देती वह पीस भ्रश्टाचारी लोगो को, चटनी कर उसको खाती ।
उठ नहीं रही है आवाज ईस धरा से,मैं क्या समझूँ सबको सूँघ गया है साँप ।
आजाद देश की जनता हो गयी गुलाम, सरकारी कुत्ते जनता के चुने नुमाईन्दे हो गये है साँप ।
सोचो, क्यो लोग अकारण ,आज गुलामी को अपनी ही मजबुरी बताएँ ।
क्यों न हिन्दूस्तान की जनता मिलकर करे विरोध, सब अपना रोष जताएँ ।
क्या हो गया है ,आज के ईस भारत को,यह भी चाहिए,वह भी चाहिए,सब कुछ चाहिए ।
भुजा(हाथ)उठा कर नेता जनता से बोले,हमें सिर्फ़ वोट चाहिए वोट चाहिए ।
आज देश की जनता की उठी भुजाएँ बोली,हमें सिर्फ़ नोट चाहिए नोट चाहिए ।
पर सोचो ऎसे में इस देश क्या होगा, वह दिन दुर नहीं जब ब्लैक मनी सबकी जेब में होगा ।
लाख तुम धर्मनिती की बाते कह डालो , फिर भी ब्लैक मनी कमाऊँगा ही ।
और देश के लिए कुछ कर न सका तो क्या,अपनी सात पुश्ते बिठा कर खिलाऊँगा ही ।
भरा कहाँ है, घडा पाप का उसको और भरना है, हर हिन्दूस्तानी को गुलाम बनाकर रखना है ।
क्यों अपनी पुण्य-भूमि को अपने ही पापी दल करें कलंकित ?
क्यों सच का दमन करें ये भोली-भाली जनता को करें आतंकित ?
क्यों न बम से जला देते,उन भ्रश्टाचारी लोगों को, निर्दोष को बनाते अपना निशाना ।
एक बार तो हमको दम दिखलाना ही होगा, अब नहीं चलेगा कोई बहाना ।
क्या हो गया है ईस आजाद देश को,भ्रष्टाचार नंगा नाच रहा है ।
भारत देश की जनता कि यह कैसी खामोशी ,सब कुछ भौचक्का देख रही है ।
मैंने तो संकल्प कर लिया है, मरना तो है ही फ़िर डर-डर कर क्यों जिना ।
ब्यर्थ है अपनो का मोह, छोड.प्राण के पंछी सभी को एक दिन है जाना ।
भूल न पायें जिसको सदियाँ, ऎसी क्रान्ती ज्योंति लेखनी जनता तक पहूँचाऊगा ।
अगर बे मौत मर गया तो,इस शासन की जड. भी हिल जायगी ।
मेरी क्रान्ती ज्योंति से आजाद हिन्दूस्तान के जीवन की फ़ुलवारी-सी खिल जायेगी ।
यह मिट्टी जो अमर शहिदों की, अपबित्र हो गयीं है भ्र्ष्टाचारी लोगों से ।
उसकी आजादी के लिए ,इस पर प्राण निछावर करते मन न तनिक हिचके ।
यह डर निकाल फेंको तुम अपने जीवन से, नहीं अधिकार और किसी का मेरे जीवन पर ।
भुल कर भी मत देना अधिकार अपने जीवन के ,जोर नहीं और किसी का मेरे जीवन पर ।
धिक्कार है ऎसे जीवन को जहाँ ,आजादी का कोई मोल नहीं ।
चिकनी-चुपडी. बातों से ईस देश का, अब उध्द्दार नहीं ।
ईन्सानों के दिलों में अब कोई देश प्रेंम का मोंल नहीं ।
जब से हिन्दूस्तान की आजादी को, बेईमानों ने अपना आशियाना बनाया ।
तब से अब तक एक भी माँई का लाल , लाल बहादुर , नेता सुभाष नहीं आया ।
भाषण से ही जनता को बेवकुफ़ बनाया जाता ,वहीं दुसरे दीन मिडियाँ और प्रेंस में दिखाया जाता ।

आओ !देखो! भारत के प्राणो में क्या उन्माद भरा है ।
शाशन के प्रतिबन्ध व्यर्थ है,और व्यर्थ है सब धारायें ,
उन्हें तोङकर जनता के स्वर गुज रही हैं सभी दिशाएँ ।
नारी कंण्ठ पुकार रही है ,उनके उपर हो रहे जुर्म मिटाओ ,
जनता दाँत पिसती जाती , बंद हथेली उसकी खुल जाती ।
पर नेता के शाशन में,देश की जनता चुप बैठकर आज तमाशा देखती जाती ।
एक हाथ जब उठता था,किसी देश भक्त नेता का, हाथ हजारो उठ जाते थे ,
पर जब आज का नेता अपना हाथ उठाता है ,जनता के दुसरे हाथ में जूता-चप्पल उठ जाता है ।
एक बार यदी उठ जाती, मिलकर आवाज ईस धरा से आती ।
रख देती वह पीस भ्रश्टाचारी लोगो को, चटनी कर उसको खाती ।
उठ नहीं रही है आवाज ईस धरा से,मैं क्या समझूँ सबको सूँघ गया है साँप ।
आजाद देश की जनता हो गयी गुलाम, सरकारी कुत्ते जनता के चुने नुमाईन्दे हो गये है साँप ।
सोचो, क्यो लोग अकारण ,आज गुलामी को अपनी ही मजबुरी बताएँ ।
क्यों न हिन्दूस्तान की जनता मिलकर करे विरोध, सब अपना रोष जताएँ ।
क्या हो गया है ,आज के ईस भारत को,यह भी चाहिए,वह भी चाहिए,सब कुछ चाहिए ।
भुजा(हाथ)उठा कर नेता जनता से बोले,हमें सिर्फ़ वोट चाहिए वोट चाहिए ।
आज देश की जनता की उठी भुजाएँ बोली,हमें सिर्फ़ नोट चाहिए नोट चाहिए ।

{ रीमिक्श राश्र्टीय़ गीत } लीडर १.
अपनी आजादी को हम भुला सकते हैं , लेकिन देश को बर्बादी से बचा सकते नहीं !
हमने कई वर्षो के बाद ये कुर्सी पायी है , सैकडो गरीबो का खून चूँस कर ये दौलत कमाई है !
न जाने कितने सुहागनो का सुहाग हमने जन्नत में पहुचायी है !
खाक में अपनो की ईज्जत मिला सकते लेकिन है , देश को वर्वादी से बचा सकते नही !
अपनी आजादी को याद तो कर सकते है , लेकिन देश के लिए कुछ कर सकते नहीं !
क्या चलेगी , दुसरो की मर्जी मेरी गुन्डा गर्दी के सामने !
लाखों की रिश्वत लेकर अगर आये कोई , बच कर जा नहीं सकता मेरी चतुराई के सामने !
हम ऎसॆ देश द्रोही नेता है , जिसे हमारे देश की जनता अब हरा सकती नहीं !
अपनी आजादी को याद तो कर सकते है , देश को आबाद कर सकते नहीं !
संसद भवन में अब जूता और चप्पलो की भरमार करते जायंगे !
देश की जनता के साथ हम खिलवाड़ करते जायेगें !
अगर देश में मिलेगें देश भक्त नेता कोई , अपने पैसो की गर्मी से हम उन्हे खत्म करते जायेगें !
अपनी आजादी को याद तो कर सकते है , लेकिन देश के लिए कुछ कर सकते नहीं !

varry varry good in indiya pipal ham bhi aajadi ke rakvali hai

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